सोमवार, 2 अगस्त 2021

प्यार करने के तरीके गज़ब है
रखे है दिल में छुपाए हुए है
निगाहें से कहता पर, लब चुप पड़ी है
ये कैसी बेवशी है, ये क्या बेवशी है।

तड़पता है दिल पर नज़रे झुकी है
ओंठो की सबनम सुखी पड़ी है
कहना भी चाहे पर लब सिली है
ये कैसी बेवशी है ,ये क्या बेवशी है।

अश्कों को छुपाए, आंखे हँस रही है
दर्द दिख ना जाए, मुस्काते रहे हैं
प्यार भी करते, डर भी बहुत है
कैसी बेवशी है, ये क्या बेवशी है।

बिरभद्रा कुमारी 


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