शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

कब तक ढूंढेगा मेरा दिल

पता नहीं तुझे कब तक  दुढ़ेगा मेरा दिल
साथ भी नहीं रह सकते दूरी भी नहीं सही जाती
जाने कब तुम्हारा अश्यना बना  मेरा दिल  
मैंने तो  तुम्हें सहारा दिया  तुझे किनारा मिल सके 
खुद किनारा लग कर मुझे ही डूबा दिया ।

 निंद नहीं आती है रातों में 
तेरी मुस्कान दिखती है  निगाहों में 
तुझे  ढूंढती है सांसे  हर पल पनाहों में 
 तुम ना मिलो तेरा पैगाम बस मिले 
मेरा फ़ोन बजे तो तेरा आवाज बस मिले ।

कैसे कटती है राते करवट बदल बदल कर
कैसे कटते हैं दिन तुम्हें याद कर कर
कितना मैं तुम्हें सुनाऊं अनकही बातें 
कुछ तेरा भी सुनने को मेरा दिल मचलता है।

तुम्हें तो  फिक्र अपनी थी  मेरी खबर कुछ ना 
मुझे तो छोड़ दी दुनिया में यूहीं भटकने को 
किसे कहू कैसे मैं कहूं कुछ तो बता दो 
मेरा प्यार आज कहां है किसके बांहों में ।

वो भी तुम्हें  मनाती है जैसे मैं मनाती थी 
कभी भी मैं नहीं रूठती हर पल मनाती थी 
तुम्हारे ही पसंद को तो अपना बनाया था 
जो तुम कह देते थे वहीं तो मान लेते थे।

जिद्दी बहुत हूं पर तुम से जिद्द कभी ना की
पता नहीं कब हाथ छूठ जाए दुनिया के भीड़ में 
मैं तुम्हें ढूंढ पाऊ इसका पता नहीं 
तुम मुझे पहचान सको इसका पता नहीं।  




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