शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

ठुमुक - ठुमुक जब चलती हो
मीठी - मीठी मुस्कान जब भरती हो
कितना प्यारा लगे घर - आंगन
जब किलकारी गूंजती है।

तेरे आने से खिल उठा नव जीवन
पहली किलकारी गूंजी जब घर में
दादा - नाना के, तन - मन, खुशियों से दमक उठे
सजाओं घर को, घर में आई है लक्ष्मी।

दादी - नानी लोडी गए
घर में बजने लगे शहनाई, 
ढोलक भी खूब बजे
मिठाई भरपूर बटे लोगों में, सब खुशी से झूम उठे।

बिना बुलाए मेहमानों की
घर में भिड़ लगी, सभी बधाई देने आए 
उपहारों से सज गई, एक - दूजे को दिए बधाई
आंगन में  सुंदर कलि खिली।

  बिरभद्रा कुमारी

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