सोमवार, 12 जुलाई 2021

तेरा संदेश आया है

तुम्हारी एक आवाज सुननें से मेरा दिन सबरता है
बहार आती है मेरा तन महकता है
मेरे दिल की मायूसी ने सन्नाटे जो तोड़ी है
एक आवाज सी गूंजी तेरा संदेश आया है 
जरा आंख तो खोलो तुम्हारा फोन आया है।

तेरे आवाज सुनने से 
सुनहरे पल जो मिल जाती 
गम की  मेघों में भी इंद्रधनुष दिख जाती
चांद निकल आई हो अमावस की रातों में
कई फूल खिल उठे पतझड़ सी बागों में
बुझती उम्मीदों में नई दीप जल उठे 
हारे हुए  मन को  संदेश जो मिले ।

कितना  मैं लिखूं खुश्यां बहार की
मेरे शब्द कम पड़े तेरे इंतज़ार की 
उम्मीद जो जगे तुझे चौसर पर हार कर 
हारे हुए दिल पे अधिकार कितना हो 
जो नहीं रहा मेरा तो इंतजार कितना हो
समर्पण हो औरों का तो एतवार कितना हो ।

तेरी आवाज सुनने से मेरा दिन सबरता है
बहार आती है  मेरा तन महकता है  
उम्मीद की राहों पर कई फूल खिल आई
डूबती हुई नाव को पतवार  मिली है
तन्हाई के आंगन में एक नगमा जो गया है
ले नई अंगड़ाई तुम्हारा फोन आया है
आवाज तो सुन संदेश लाया है, संदेश लाया है।




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