रविवार, 1 अगस्त 2021

तेरे यादों की महफिल सजाती रही
आखों से अश्क बहाती रही
एक मेसेज तो मिल जाए 
पूरी रात व्हाट्सएप देखती रही।

बहुत सॉफ्टवेयर बनाई है
पर न बना सकी, ऐसा एक
भी प्रोग्राम, जो रन हो जाए दिल में
तो भूल जाए तेरे खाब्।

कोशिश भी करती कुछ 
बनाने का नया सॉफ्टवेयर
रन होने से पहले आ जाता 
तेरे यादों का वायरस 
कर देता पूरा डेटा पल में ही करप्ट
छीन लेता  सकून, कर देता बैचेन।

पुराने मेमोरी में तो बस पड़ी है तेरी ही याद 
अब तो करबट का सिलशला शुरू हुई
गणित का टॉपर हो कर भी गिनती न
कर सकी, पूरी रात बस हिचकियां चली।

तकिए भी नहा लिए अश्कों में
बेडसिट भी पूछने लगा और कितना बदलोगी करबटें, 
अब तो जीमेल भी कहने लगा 
तेरा दिल तो एंटी वायरस से लगा
जिसे फॉर्मेट की जरूरत ही नहींं  ।

बिरभद्रा कुमारी


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