बुधवार, 18 अगस्त 2021

वृक्षारोपण

 वृक्ष  की छाया मिलिती है 
मुहब्बत दिल में पलती है

वृक्ष लगाएं हरियाली फैलाए
कुछ नया पैगाम दे
यादों की जाम दे
इश्क का ही नाम दें।

मेरे पूर्वज बता गए
यादों की बारात दिखा गए
फल - फूल यहां जो मिलती है
नव में बादल खिलती है।

हम उनकी गाथा दुहरते है
अपने बच्चों को भी बताते है
पेड़ हमारा सांस है
खुश्यों का एहसास है।

वातावरण की परिधान है
जीवन की पहचान है
सांस पेड़ों से मिलती है
नव में इंद्रधनुष खिलती है।

हर बाग में  वृक्ष लगाएंगे
पानी रोज पिलाएगे
जीते जी न कटने देगें
मुरझाने से पहले नहीं मरने देगें।

बिरभद्रा कुमारी

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