गुरुवार, 26 अगस्त 2021

निंदा कितनी जरुरी है

 


निंदा कितनी जरुरी है

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निंदक नियरे रखिए आगाँन कुटी छबाय

बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुहाय

 

पर आज तो निंदा चुगली में बदल गयी

सामने से यदि बोल दे, तो रिश्ता बिगड़ गयी

 

मन की बात कहे तो, कहे कैसे,

सुबह चिंतक हो कर भी

सुबह चिंतक बने कैसे

सच सुनने की शक्ति कहाँ रही

कहने की साहस किए तो

रिश्ते ही टूट गए |

 

बीरभद्रा कुमारी

 

 

 

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