शनिवार, 7 अगस्त 2021

सावन के झूले

 # सावन के झूले

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सावन में झूला झूलना
बागों से फूल चुराना
दोस्तों के संग तितली पकड़ना
गढ़े के पानी को छपकाना।

पेड़ों से मेंहदी तोड़ना
खूब मजे से पूजा करना
रिमझिम बूंदों में भींगना
अमरूद को छुप - छुप कर खाना।

झूला झूलने की होड़ मच जाती
अबकी है मेरी बारी, तुमने तो अधिक
झूला, अब मुझे नहीं छोड़ना है झूला
बातों - बातों में गुस्सा होना, पल में
फिर मान भी जाना।

कितना भावन था वो दिन
बड़े मजे में कटते थे दिन
आया सावन - आया सावन
राखी मुझे सुंदर है लेना
पल में हंसना - पल में रोना।।

बिरभद्रा कुमारीी


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