तुझे दोस्त कहूं, प्यार कहूं, मित कहूं
रब कहूं, भगवान कहूं, दुआ कहूं,
इबादत कहूं, पूजा कहूं, प्रार्थना कहूं
मैं तुझे क्या कहूं!
रब कहूं, भगवान कहूं, दुआ कहूं,
इबादत कहूं, पूजा कहूं, प्रार्थना कहूं
मैं तुझे क्या कहूं!
प्यार भी तुझसे, नाराजगी भी तुझसे,
बैचेनी भी तुझसे, मुहब्बत भी तुझसे
याद भी तेरा, खाब्ब् भी तेरा,
आंसू भी तेरा, मुस्कान तेरा,
सुबह भी तेरा ,शाम भी तेरा,
दिन भी तेरा, रात भी तेरा
कितना बताऊं क्या - क्या है तेरा।
पास भी नहींं रह सकते
दूरी भी नहीं सही जाती ।
दिल में तुम, धड़कन में तुम,
सांसों में तुम,खुशबू में तुम,
आखों में तुम, बातों में तुम,
देह में तुम, प्राण में तुम,
सूरज की रोशनी में तुम,
चाँद की शीतलता में तुम
कितना बताऊं कहां कहां हो तुम
मैं जहां हूं वहीं हो तुम।।
बिरभद्रा कुमारी
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