फिर याद आ रही
बीता वो कल
कैसे रहते थे हम दोनों
कैसे बीतता था वो पल
कभी लड़ाई कभी प्यार से
एक साथ एग्जाम देना
एक साथ बाजार जाना
कभी ट्रेन में तो कभी बस में करते
थे एक साथ सफर
आज फिर याद आ रही
बीता वो कल ।।
कभी कक्षा में कभी कमरे में
होती थी जो बाते
कभी बताते गणित आप को
आप मुझे बताते प्रबंधन
कभी लैब में कभी लाइब्रेरी
रहते एक साथ हरदम
कभी चाय पीते कैंटीन में
रोज मध्यान भोजन एक संग
फिर याद आ रही
बीता वो कल।।
कभी प्रोजेक्ट कभी presentation
एक साथ लिखा करते थे
किस्मत भी क्या साथ निभाता
जब कुछ हो तो हम दोनों को
एक साथ चुना करते थे
हम दोनों भी कम थोड़े थे सब के दिल में बसते थे
जैसा जिसको मदद चाहिए
हरपल तैयार मिला करते थे
फिर याद आ रही
बीता वो कल कैसे साथ रहा करते थे
दोनों हरदम हर पल ।।
बिरभद्रा कुमारी
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