छम - छम छम - छम पायल बाजे
उसकी धुन पे बिटिया नाचे
तोतली बोली मन को मोहे
कभी रूठे कभी मुस्काएं।
घर - आंगन को चहकाए
बात - बात पे उधम मचाए
प्रश्नों की अंबार लगाती
बड़े प्यार से पास बुलाती
माँ तुम मेरे पास आ जाओ
संग में थोड़ी पानी लाओ
मेरा खिलौना टूट गया
मेरा गुड्डा रूठ गया।
तुम इसको अपने गोद में लो
इसको थोड़ी दूध दो
नहीं तो ये रोएगा
संग मेरे नहीं खेलेगा।
मैं दादा के संग जाती हूं
चॉकलेट ले के आती हूं
मेरे लिए पूरी पकाना
मुझे रोटी नहीं है खाना।
बिरभद्रा कुमारी
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