हमारी धड़कनों से पूछो,तुम्हें कैसे याद करती है
बिना मुलाकाते की ही बाते,
सौ सौ बार करती है।
तुम्हारे खाब्ब में डूबी
पनाहें तो नहीं मिलती।
तेरे प्यार की बातों को ही तो याद करती है।
संग बीती हुई लंभों की बातें ही तो करती है।।
कोई शिकवा नहीं करती,
नहीं कोई शिकायत है।
कभी तुम पास होते थे
कभी तुम दूर रहते थे
कभी नजरे झुकाते थे
तो कभी आंसू बहाते थे
तेरे सांसों की शहनाई ही तो बजती है
तेरी धड़कने की आहट को ही सुनती है।
हमारी धड़कनों से पूछो,तुम्हें कैसे याद करती है
तुम्हें याद करती है, तुम्हें याद करती हैं।।
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