मंगलवार, 13 जुलाई 2021

तुम्हें याद करती है

हमारी धड़कनों से पूछो,तुम्हें कैसे याद करती है
बिना मुलाकाते की ही बाते,
सौ  सौ बार करती है।
तुम्हारे  खाब्ब में डूबी 
पनाहें तो नहीं मिलती।
तेरे प्यार की बातों को ही तो याद करती है।
संग बीती हुई लंभों की बातें ही तो करती है।।

कोई शिकवा नहीं करती,
नहीं कोई शिकायत है।
कभी तुम पास होते थे 
कभी तुम दूर रहते थे
कभी नजरे झुकाते थे 
तो कभी आंसू बहाते थे 
तेरे  सांसों की शहनाई ही तो बजती है
तेरी धड़कने की आहट को  ही सुनती है।

हमारी धड़कनों से पूछो,तुम्हें कैसे याद करती है
तुम्हें याद करती है, तुम्हें याद करती हैं।।




" *आप अपना कॉमेंट देना ना भूलें"* ❤️🙏🌹
     पसंद आए तो दोस्तों को भी शेयर करे

अधिक कविताएं पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करे
https://hindikavitawittenbybir.blogspot.com











 








 




 





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें