गुरुवार, 29 जुलाई 2021

 इस स्वर्णिम पल की क्या बखान करूं
खुशी और आंसू एक साथ मिले
मिलने की खुशी मिली या बिछड़ने का गम मिला
मरहम और जख्म एक साथ मिला
दिल की तमन्ना पूरी हुई या हसरत नाकाम हुआ
खाबों में मिले या सपना साकार हुआ
वर्षों इंतजार के बाद आया ये पल
खुश्या संग लाई या गम का उपहार मिला
जो भी हुआ अच्छा था इंतजार की
 बेकरारी को करार मिला 
बैचेन दिल को बैचैनिया मिली 
अश्क छुप कर  दुआ यही निकली तुम खुश रहो
तेरा महफिल खुशियों से आबाद रहे
तेरा मंजिल मिले तू छा जा  हर दिल पर
 मैं क्या तेरा दीवाना संसार बने।


                              बिरभद्रा कुमारी



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