मैकसो की बस्ती में
बसर सिर्फ दो ही करते है
जो जाम को पीते
जो जाम में ही है डूबे
वहां गम नहीं रहता
नासा कम नहीं रहता
शाम ढलते ही आगोश
पिघलते है
मुहब्बत तुम भी करते हो
मुहब्बत हम भी करते है
मगर फर्क इतना है तुम
इज़हार करते हो
हम इनकार करते हैं।।
बसर सिर्फ दो ही करते है
जो जाम को पीते
जो जाम में ही है डूबे
वहां गम नहीं रहता
नासा कम नहीं रहता
शाम ढलते ही आगोश
पिघलते है
मुहब्बत तुम भी करते हो
मुहब्बत हम भी करते है
मगर फर्क इतना है तुम
इज़हार करते हो
हम इनकार करते हैं।।
बिरभद्रा कुमारी
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