बेवफ़ा तुम भी नहीं, बेवफ़ा मैं भी नहीं
प्यार तुझे भी है, प्यार मुझे भी है
तुम कह भी लिए, मैं सुन भी ली
प्यार तुझे भी है, प्यार मुझे भी है
तुम कह भी लिए, मैं सुन भी ली
साथ तुम भी नहीं, साथ मैं भी नहीं
चाहत तुझे भी है, चाहत मुझे भी है
दर्द तुझे भी है , दर्द मुझे भी है
निभा तुम भी ना सका, निभा मैं भी न सकी
भूला तुम भी नहीं , भूली मैं भी नहीं
ये कैसी मिलन थी , जो चुभन बन गई
यादों की महफिल सज गई।
राहों में मिले थे ,राहों में छूट गए
तेरी मंजिल अलग, मेरी पूजा अलग
तेरी इबादत अलग , मेरी थाल अलग
इतनी सी शिकायत है किस्मत से
जब सब अलग था तो मिलाया ही क्यों
अपने जाल में फसाया ही क्यों
क्या गलती थी मेरी जो सजा मुझे मिली
उसे सब कुछ दिया मुझे कुछ भी नहीं।
बिरभद्रा कुमारी
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Bahut khoob
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