*तेरे इंतज़ार में हम बेसब्र हो खड़े रहे*
*मुझे दरकिनार कर रास्ते तुम बदलते रहे*
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प्यार भी सिखलाया, बेवफा भी हो गए
भवर में डूबा कर, किनारा हो गए।
दिल के साथ खेलना, कितना आसान था तेरे लिए
कोई नहीं मिला, तो मुझे ही चुन लिए।
अब सामने से गुजरने से भी डरते हो
पहचान न लूं रास्ते बदलते फिरते हो।
मेरी गलती इतनी थी, तेरे आंसू में बह गए
जिसे दीवाना समझा, वो बेवफा बन गए।
तुम किसी और का बन गया, इसका गिला नहीं
एक बार तो कह देते, अब मेरा नहीं।
तेरी हर सच्चाई को, जानती हूं मैं
बस एक बार, तुमसे भी सुनना चाहती हूं मैं।
अब मेरे लिए, तेरे दिल में प्यार ना रहा
तुम हो गया किसी और का, मेरा नहीं रहा।
तुम खुश रह अपनी जिंदगी में, दुआ दिन - रात करती हूं
एक बार मिलने की तमन्ना आज भी रखती हूं।
जब याद आ जाए, मिलने भी आ जाना
बेरहम तुम है बना, मैं तो मुहब्बत आज भी करती हूं।
बीरभद्रा कुमारी
बहुत अच्छी आकर्षक रचना है
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