गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

धन्यवाद

  तुम से है जो पाया

खोई उम्मीदो को जगाया

किन शब्दों से धन्यवाद करू

इतना स्नेह आप सब से जो पाया।


मुझे छंद का ज्ञान नहीं

नहीं अल्फाज सजा सकती

जो देखती हूं वहीं लिखती हूं

फिर भी आप सब से 

वे इंतन्हा मुहब्बत पाया।


मैं साहित्य कभी नहीं पढ़ी हूं

 मुझे व्याकरण का भान नहीं

कैसे सजती है तुकबंदी 

उसका भी कुछ ज्ञान नहीं

फिर भी प्रेम दिया आप सब ने 

 किन शब्दों से धन्यवाद करू


उत्साह भर दिया जीवन में

दीप बुझने से पहले बचा लिया

इतना सम्मान दिया आप सब ने

मुझे भी लिखना सीखा दिया।


ईश्वर साथ उसी का देता जो 

खुद का है देता साथ

 ऐसा प्रमाण मिला जीवन में

इससे ज्यादा क्या कहूं


किस शब्दों से करू धन्यवाद

मुझे साहित्य का ज्ञान नहीं।


मेरी खामियां नहीं गिनाया

प्रोत्साहन का धारा बहाया

मैं भी कह सकूं बातों को

ऐसा सु अवसर दिलवाया।

Birbhadra Kumari





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