इज़हार
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रोते रोते इश्क का, इज़हार कर गए
हा जब कर दी तो, बेकरार कर गए।
जब दिल को अपने, नाम कर लिया
तब भरी महफिल में, तन्हा कर गए।
जब मुहब्बत बेपन्ह हो गया
तब इश्क का व्यापार कर गए।
चैन और सकुन सब को, अपने साथ ले गए
तन्हाई मुझे दिया खुशियों का, आलम ले गए।
कोई और नहीं मिला था, जो मुझे चुन लिए
फिर भी दुआ देती हूं,
मेरे दिल के साथ, खिलवाड़ कर गए।
बेवफा मैं कह नहीं सकती
मेरा दिल जो साथ ले गए।
बिरभद्रा कुमारी
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