गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

छट पूजा

 कार्तिक शुक्ल षष्ठी को

छट पूजा मानते है

संतान सुख केलिए जो 

मन्नत करते है

नदी के घाट को क्या सुन्दर सजाते है

डूबता सूर्य को जल देते, उगते सूर्य को भी रिझाते है।


कथा है बहुत पुरानी राजा प्रियवंत की,जो आप को सुनाते है

संतान प्राप्ति के खातिर यज्ञ करवाया

इस यज्ञ को महर्षि कश्यप संपन करवाया

पुत्र प्राप्ति के लिए रानी मालनी को खीर खिलवाया

पर मृत्य पुत्र को पाया।

बिहवल हो गया राजा प्राण त्याग करने को

संग आसमान जो आया

इस दृश्य को देख, छठी मईया वहां आई

बोली ध्यान धर मेरा, तुझे पुत्र ही होगा

मेरा वर्त थोड़ा है कठिन पर वर्थ नहीं जाता

जो भी इक्षा रखता है वो जरूर फल पाता।


तभी से वर्त करते है कठिन छट का 

जिसे संतान न मिल पाया, मनते खाली नहीं जाती

 उसे दे ही देती है,जो ध्यान छठी मईया के करते है

विश्वास है जिसको कभी खाली नहीं लौटा

फल इक्षित सभी पाया, जो भी दिल से पुकारा है।


चलो आज फिर दिल से जय कारा लगाते है

छठी मईया की जय जय गान करते है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें