सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

 खुशियां है कम गम है ज्यादा

जीवन जीने का क्या है इरादा


अपनों ही के बीच तन्हा खड़ा है

जिन्दगी का सफ़र झमेला बड़ा है।


खुश रहने की कोशिशें बस करते

खुश कैसे रहा जाय ताउम्र तलास्ते।


जीवन का भरोसा ही क्या है

आज मुस्कुरालें कल का क्या है।


जख्मों पे मरहम की कमी है

अपनों ही पत्थर की बनी है।


जख्मों के मेले में कुछ ऐसा ही कर लो

हंस कर ही जी लो हर पल जिंदगी के।


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