गुरुवार, 22 जुलाई 2021

कभी मिलने भी आ जाओ मुहब्बत है अगर मुझसे।

मुहब्बत है अगर मुझसे कभी
मिलने भी आ जाओ
मेरी हालत तो देखो की
कैसे हो गए तुम बिन।

मेरी आंसू नहीं रुकती
दिन रात बहती है
आठों की सबनम तो
पतझड़ सी दिखती है।

मुहब्बत है अगर मुझसे कभी
 मिलने भी आ जाओ।

मेरे जख्मों को देखो कैसे 
लहलहाते है
थोड़ी मरहम की है जरूरत 
थोड़ा स्नेह तो दे दो।

दर्द भी तो अब मुझसे सही नहीं जाती
दर्द छुप जाए मुस्कुराना कितना मुस्किल है।

कभी भी कुछ नहीं मांगा
कभी मिलने तो आ जाओ
थोड़ी आंसू को समझा दो
दिन रात बहती हैै।

मुझे तो प्यार है तुम से बस प्यार है तुमसे
मुहब्बत तुमने सिखलाई
क्यों रूठे हो तुम मुझसे
कभी मिलने भी आ जाओ
मुहब्बत है अगर मुझसे।

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