"सावन"
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रिमझिम बूंदे संग में लाई
सबके अंदर प्यार जगाई
सब के तन - मन को महकाई।
हर बागों में फूल खिले
मोर - पीपीहे नाचे गाए
बाग - बगीचे मस्ती में झुमें
नदियां कल - कल गीत सुनाए।
बाबा भोले की याद दिलाएं
भांग - धतूरे बेल पत्र चढ़ाएं
हर जगह बम - बम की शोर
कामर लेके जल चढ़ाएं।
हर हाथों में मेंहदी महके
हर दुकान में रांखी चमके
हर ज़ुबान में एक ही बोल
आया सावन हर - हर बोल।
बिरभद्रा कुमारी
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