खुशबू
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ये खुशबू किस बागों से आई है
किस फूलों की है खुशबू
अंदर मन को महकाया
बाहर तन को महकाया।
खाबों को जगाया है
धड़कन में धड़कता है
खुशबू हवा से आई है
संग यादों को लाई है।
थोड़ी खुशियां भी लाई है
थोड़े आंसू भी लाया है
थोड़ा बेताब लाया है
थोड़ी बेबसी बतलाई ।
मेरी नींद चुराई है
मेरा चैन भी छीना
मेरे दिल की बेताबी
से अपना महफिल सजाया है।।
ये खुशबू किस बागों से आई है
किस फूलों की है खुशबू
एक पैगाम लाया है
जज्बात लाया है।
मेरी बेबसी को समझो, तुम
तुम भी महक जाओ
अपनी खुशबू फैलाओ
मुझे भी महकाओ।
ये खुशबू किस बागों से आई है
किस फूलों की है खुशबू
अंदर मन को महकाया
बाहर तन को महकाया।
बिरभद्रा कुमारी
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