प्यारी गुड़िया नन्ही परी
मां की आखों के तारा
पापा की दुलारी है
नखरे की महारानी है
बात - बात में आंसू का व्यापार कर लेती
अपना बात पल में माना लेती ।
पापा की दुलारी है
नखरे की महारानी है
बात - बात में आंसू का व्यापार कर लेती
अपना बात पल में माना लेती ।
सब के मन मोह लेती अपनी मुस्कान पे
दादा - दादी को रिझा लेती
चाय - चश्में की दाम पे
पायल की धुन पे नाचती
प्रश्नों की अंबार लगाती।
बड़े प्यार से पास आती
मीठी - मीठी गीत सुनाती
दादा - दादा बात सुनो मेरी
बहुत दिन हो गया
थोड़ी नानी से मिल आती हूं
बाजार घूम के आती हूं
तुम बिल्कुल नहीं रोना
दो दिन में वापस आ जाऊंगी
साथ खिलौने लाऊगी
तेरे संग में खेलूगी।
बिरभद्रा कुमारी
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