दिल
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तो अक्सर टूट जाता है
मुहब्बत जिसको मिलता है
मुकदर रूठ जाता है।
दिलों में तन्हाई सी रहती है
आशिक़ छूट जाता है
भरी महफिल में भी अक्सर अकेले
ही तो रहते हैं
मंजिल नहीं मिलती,
राहें कांटे की मिलती है।
दिल अपनी रहती है
धड़कन चाहत की होती है
अश्कों को छुपा कर के भी
अक्सर मुस्कुराना पड़ता है
तन्हा दिल में भी मुहब्बत
ही तो रहता है।
बिरभद्रा कुमारी
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